Sunday 28 January 2024

मुक्तक...छंद मनमोहन

मनमोहन छंद...

( 14 मात्रा (8+6) पदांत नगण
चारों चरण या दो- दो चरण समतुकांत
सही विधान- अठकल +किसी भी तरह का त्रिकल + नगण अर्थात पदांत 111 )

१-
शीश झुकाकर  करूँ नमन।
करो प्रभो सब  पाप शमन।।
द्वेष-दंभ  सब   करें  गमन।
रहे  देश  में    सदा  अमन।।

२-
सर-सर सर-सर चले पवन।
नर्तन   करते   धरा - गगन।।
मन विरहन के लगी अगन।
दुनिया  खुद  में  रहे  मगन।।

३-
कैसे  उनको   लगी  भनक।
रखे यहाँ पर कनक-कनक।।
थी नयनों में   नयी चमक।
खेल-खेल में  गढ़ा यमक।।

४-
उठी हृदय में कौन सटक ?
करता क्यों ये उठा-पटक ?
पहले ही मन गया खटक ।
दर्पण भी लो  गया चटक।।

५-
कितना ऊँचा  उठा गगन।
फिर भी नीचे किए नयन।।
कर्म निरत नित रहे मगन।
हममें भी  हो वही लगन।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

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