Thursday 16 February 2023

अपना नैनीताल...

अपना नैनीताल

साठ मनोरम तालयुत, भव्य रूप अवदात।
षष्ठिखात के नाम से, हुआ प्रथम विख्यात।।

लिए सती-शव शिव चले, होकर जब बेचैन।
तन के अनगिन भाग में, गिरे यहीं थे नैन।।

मंदिर देवी का बना, पाया नैना नाम।
भक्तों के उद्धार हित, महापुण्य का धाम।।

अत्रि, पुस्त्य और पुलह, पौराणिक ऋषि तीन।
गुजर रहे इस मार्ग से, रुके    प्यास - आधीन।।

नैसर्गिक सौंदर्य यहाँ, बिखरा देख अकूत।
बढ़ी रमण की लालसा, हुआ रिदय अभिभूत।

खोदी भू त्रिशूल से, लेकर प्रभु का नाम।
त्रिधार युत ताल बना, त्रिऋषि सरोवर धाम।।

पी. वैरन की कल्पना, हुई सत्य साकार।
झीलों की नगरी बनी, मिला भव्य आकार।।

ये बर्फीली चोटियाँ, उतरे ज्यों घन पुंज।
मन को हरती वादियाँ, लता गुल्म औ कुंज।।

नीम करौरी तीर्थ है, कहते कैंची धाम।
बाबा के आशीष से, सधते सारे काम।।

छटा अनूठी रात की ,जगमग करतीं झील।
लहर-लहर बल्वावली, दीपित ज्यों कंदील।।

हरी-भरी हैं वादियाँ, सात मनोरम ताल।
मौसम जब अनुकूल हो, आएँ नैनीताल।।

© डॉ. सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी, मुरादाबाद
मूल निवास- रामनगर (नैनीताल), उत्तराखंड