Monday 20 July 2015

जब जब कोशिश करती हूँ -----

जब जब कोशिश करती हूँ उसे भुलाने की !
तब और मचल उठती है तमन्ना, पाने की !

निष्ठुर सनम क्या कदर प्यार की जाने
लिये बैठा है वो तो कसम, ना आने की !

दिल का गम आँखों से सावन बन बरसेगा
जगह मिली बादल को इन पलकों पर छाने की !

एक ना एक दिन तो दिल उसका पिघलेगा
पूरी कर ले चाह वो अपनी, सितम ढाने की !

यूँ ही कैसे आए हँसी लबों पर बोलो
कोई तो वजह हो आखिर, मुस्कुराने की !

ऐसे खफा हुआ कि मुड़ के ना देखा पीछे
नाकाम रही हर कोशिश, उसे मनाने की !

                       --- सीमा ---

Saturday 18 July 2015

जीवन अपना राम हवाले

घुमड़ आए हैं नील गगन में
गम के बादल काले-काले
ढुलक पड़े आँखों से सावन
रुके ना किसी के सम्हाले !

कितने दिनों की उमस समेटे
घुट रहा था भीतर ही भीतर
आज सब्र का बाँध टूट गया
खोल दिये सब दिल के ताले !

एक-एक कर मन-माला में
नाजुक सपने पिरो रहा था
मसल गए तूफां के हाथों
अरमां सब उसके मतवाले !

टप टप गिरते आँसू जमीं पर
मर्म व्यथा का खोल रहे हैं
कान खोलकर सुनो गौर से
कैसे दर्द भरे हैं उसके नाले !

आँखें धुँधली, राह अँधेरी
पथ की कोई पहचान नहीं
काँटे चुभते कदम- कदम
पाँव पड़े हैं अनगिन छाले !

कोई ना संगी साथी अपना
हर सुख लगता जैसे सपना
कभी तो पार लगेगी नैया
जीवन अपना राम हवाले !

                 --- सीमा ---

Thursday 9 July 2015

तुम्हें याद तो मेरी आती होगी

कभी तो हिचकी आती होगी !
याद मेरी तुम्हें दिलाती होगी !
कितने नाम तुम लेते होंगे,पर
नाम से मेरे रुक जाती होगी !

जब अश्कों का भार सम्हाले
नभ में घटा घिर आती होगी !
तरस तो मुझपर आता होगा
जो हाल वो मेरा बताती होगी !
        
          --- सीमा ---