Friday 29 January 2016

आँखों में देखो अश्क भरे हैं ---

आँखों में देखो अश्क भरे हैं
हुए आज फिर जख्म हरे हैं !

शेष रह गए बस ठूँठ गमों के
सुख के तो सारे पात झरे हैं !

गुमसुम-गुमसुम खोए-खोए
अरमां सहमे-सहमे डरे-डरे हैं !

चलूँ मैं तनकर बोलो कैसे !
दिल पर जब इतने बोझ धरे हैं !

पहन ले सीमा मुस्कान- मुखौटा
तेरे दुख तो ये टारे नहीं टरे हैं !

- सीमा

कुछ पाने की आस ना कर ---

कुछ पाने की आस ना कर
जो पास तेरे बस देता चल
तुझ चकोर का भाग्य यही
हँस हँस अंगारे चुगता चल

~ सीमा

Wednesday 27 January 2016

आँखों में देखो---

आँखों में देखो अश्क भरे हैं
हुए आज फिर जख्म हरे हैं !

रह गए बस ठूँठ गमों के
सुख के तो सारे पात झरे हैं !

गुमसुम-गुमसुम खोए-खोए
अरमां सहमे-सहमे डरे-डरे हैं !

चलूँ मैं तनकर बोलो कैसे !
दिल पर जब इतने बोझ धरे हैं !

पहन ले सीमा मुस्कान- मुखौटा
तेरे दुख तो ये टारे नहीं टरे हैं !

- सीमा

बुलंदियां चूमें कदम

बुलंदियाँ चूमें कदम,
प्रगति-चक्र रुके नहीं !
कामयाबी का सिलसिला,
चलता रहे, चुके नहीं !

तेजोद्दीप्त रहें सदा,
ज्यों सूरज की तश्तरी !
विगत के आधार पर,
बने भविष्य- संदली !
        तन रहे स्वस्थ सदा,
        मन कभी थके नहीं !

विदीर्ण कर उदासियाँ
नव स्फूर्ति, नव रंग भरें
सतिए-सी मंजिल पर
आप अनन्त दीप धरें
        उन्नत रहे भाल सदा
        कहीं कभी झुके नहीं !

पंथ पर अन्याय के
कदम कभी ना पड़ें
स्वार्थ के लिए नहीं
ईमान के लिए लड़ें
        सन्मार्ग पर चलें सदा
        चरित्र कभी बिके नहीं !

बुलंदियाँ चूमें कदम,
प्रगति-चक्र रुके नहीं !
कामयाबी का सिलसिला,
चलता रहे, चुके नहीं !

- सीमा