Sunday 23 November 2014

तुम हो चाँद गगन के ---

मनमोहक ये छवि तुम्हारी
हमने दिल में उतारी है !
पल पल जपता नाम तुम्हारा
दिल ये बना पुजारी है !

बेवफा ना हमें तुम मानो
हमें बस लगन तुम्हारी है !
अपना तुम्हें हम कह सकें
कहाँ ये किस्मत हमारी है !

तुम बिन दिल को चैन नहीं
पल भर लगती पलक नहीं !
पाने को एक झलक तुम्हारी
नजर बन चली भिखारी है !

मुझ चकोर की लघु है सीमा
देखूँ बस दूर से रूप तुम्हारा !
विस्तृत नभ की तुम हो शोभा
पाऊँ कैसे तुम्हें , लाचारी है !

मन है ये मेरा मानसरोवर
और तुम हो चाँद गगन के !
अहा ! रात के साए में चमकी
उजली तस्वीर तुम्हारी है !

जितना तुम्हें चाहा है मैंने
मुझे भी तुम चाहोगे उतना !
चुकाना ही होगा कर्ज तुम्हें ये
मेरी तुम पे रही उधारी है !

-डॉ0 सीमा अग्रवाल

Wednesday 19 November 2014

अभी तो कितना गम खाया है ---

अभी तो कितना गम खाया है !
फिर भी तुम कहते कम खाया है !

चाहा था जिसे रब से भी ज्यादा
दिल पे उसी ने कहर ढाया है !

जिसके लिए भुला बैठे खुद को
पल- पल उसने हमें ताया है ।

टूट गया अब बाँध सब्र का
आँख से आँसू ढुलक आया है !

पर मुमकिन नहीं है उसे भुलाना
इतना इस दिल को वो भाया है !

जी उठेंगी देख उसे ये अँखियाँ
कोई कह दे लौट वो फिर आया है !

कोई पूछे उससे क्यों रूठ गया वो
जो खुद ही चलके इधर आया है ।

ओ,नफरत करने वाले ! सुन ले
हमें तुझपे बला का प्यार आया है !

अब उजाला ज्यादा दूर नहीं,
अँधियारा इतना घिर आया है !

छंटने लगे अब गम के बादल,
लौट के घर हमदम आया है !

  अब रहे न कोई हसरत बाकी,
  प्यार भरा मौसम आया है !

  देख लिया जब जी भर उनको,
  आँखों में मेरी दम आया है !

  उस बिन तेरा वजूद न'सीमा,'
  कोई गैर नहीं वो हमसाया है !

-सीमा अग्रवाल

Thursday 13 November 2014

वक्त ले आया----

वक्त ले आया काँ से काँ तक
डराती है अब अपनी छाँ तक
कैसे यकीं आए नातों पर,
बदल गए सब सर से पाँ तक ।

नजर घुमाऊँ जब याँ से वाँ तक
देख नजारा डर जाती जाँ तक
किसी और पे क्या यकीं करें अब,
बदल गयी जब अपनी माँ तक ।

-सीमा अग्रवाल

बाल-गीत

बाल दिवस पर---
                    एक बाल-गीत
 
मशाल ज्ञान की लिए हाथ में
हम चलें प्रगति की ओर !
अथक गति भर चरणों में,
हम बढ़ें शिखर की ओर !

दें कुरूप को रूप सलोना
उजला हो घर का हर कोना
दारिद्रय मिटे,समृद्ध बनें सब
बिखरा हो कण-कण में सोना !

छोटे पर कर्मठ हाथों से
हम छू लें नभ के छोर !
सुंदर मन,सत्य समन्वित ले
हम बढ़ें शिवम् की ओर !

अग्यान तिमिर हर लें जग से
हम नन्हे नन्हे दीप !
मोती सी तरलता लिए ह्दय में
हम दमकें जैसे सीप !

जीत हार में साथ रहें हम
थामे प्रीत की डोर !
मिट जाए तम जीवन से
ले आएं ऐसी भोर !

-सीमा अग्रवाल