Thursday 22 December 2022

NATIONAL MATHEMATICS DAY

घन-आयत या क्षेत्रफल, वर्ग एकड़ या वृत्त।
अंक-अंक में देख लो, जग सारा आवृत्त।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

Saturday 17 December 2022

एक मुक्तक....

सुसंस्कृत सभ्य शालीना, सुघड़ सोंणी सजीली- सी।
सुरीली सात सुर साधे, शिवा-सी शुभ सहेली-सी।
सलोनी सौम्य-सी सूरत, सुपर्णा-सी सुघड़ताई,
सरलता सादगी सरसे, सहज सुखदा सुभागी- सी।
© डॉ.सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी
मुरादाबाद (उ.प्र.)
"भावों की रश्मियाँ" से

Monday 5 December 2022

गीत- अपनी गजब कहानी....

अपनी गजब कहानी...

मैं हूँ उसका राजा बाबू,
वो है मेरी रानी।
अपनी गजब कहानी।

उसकी खातिर सारे जग से,
नाता मैंने तोड़ा।
उसे खिलाता छप्पन व्यंजन,
पर खुद खाता थोड़ा।
बनी रही अंजान मगर वह,
कदर न मेरी जानी।
अपनी गजब कहानी...

बहुत प्रिया के नखरे देखे,
बहुतहिं करी चिरौरी।
उसे मनाने अल्मोड़ा से,
लाया ढूँढ सिंगौरी।
फूली कुप्पा बनी रही वह,
एक न मेरी मानी।
अपनी गजब कहानी...

कभी प्यार से कहती मुझसे,
सुन ओ मेरे राजा।
बिन तेरे मैं जी न सकूँगी,
रूठ के मुझसे न जा।
साथ-साथ बस हँसते-रोते,
हमको उम्र बितानी।
अपनी गजब कहानी...

रुनझुन-रुनझुन पायल उसकी,
गीत-गज़ल सब गाती।
रह जाता मैं देख ठगा-सा,
बात न मुँह तक आती।
आती जब-जब पास मिरे वो,
ओढ़ चुनरिया धानी।
अपनी गजब कहानी...

कभी प्यार से गले लगाती,
आँखें कभी दिखाती।
कहकर बुद्धू भोला मुझको,
कितने सबक सिखाती।
लगे नहीं रति से कमतर, जब
बातें करे रुमानी।
अपनी गजब कहानी...

सूनी उस बिन दिल की नगरी,
सूना ये घर-आँगन।
नेह-सिक्त आँचल बिन उसके,
बीते सूखा सावन।
हाथ में उसका हाथ रहे तो,
हर रुत लगे सुहानी।
अपनी गजब कहानी...

- © सीमा अग्रवाल

जिगर कॉलोनी

मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )

काव्य संग्रह "सुरभित सृजन" से