असीम आकाश
Saturday 17 December 2022
एक मुक्तक....
सुसंस्कृत सभ्य शालीना, सुघड़ सोंणी सजीली- सी।
सुरीली सात सुर साधे, शिवा-सी शुभ सहेली-सी।
सलोनी सौम्य-सी सूरत, सुपर्णा-सी सुघड़ताई,
सरलता सादगी सरसे, सहज सुखदा सुभागी- सी।
© डॉ.सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी
मुरादाबाद (उ.प्र.)
"भावों की रश्मियाँ" से
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