Friday 4 December 2020
अनजान पथिक से तुम....
Monday 30 November 2020
आवारा लड़के सा चाँद....
आवारा लड़के-सा चाँद...
रूप का उसके कोई न सानी प्यारा-सा अलवेला चाँद
निहारे धरा को टुकुर-टुकुर गोल मटोल मटके-सा चाँद
चुपके-चुपके साँझ ढले वह, नित मेरी गली में आता
नजरें बचा कर सारे जग से तड़के ही छिप जाता चाँद
कितना दौड़ूँ उसे पकड़ने पर हाथ न मेरे कभी वो आए
औचक छिटक जा पहुँचे नभ में माला के मनके-सा चाँद
पकड़ न आये शरारत उसकी शातिर वो बड़े हुनर वाला
रात-रात भर विचरता अकेला आवारा लड़के-सा चाँद
-©®सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
'मनके मेरे मन के' से
Sunday 29 November 2020
जरा-जरा...
Friday 27 November 2020
शब वो काली नहीं ढल पायी...
Tuesday 24 November 2020
जगो-उठो हे, कमला कांत.... ( हरि प्रबोधिनी एकादशी पर )
Friday 20 November 2020
विश्व रंगमंच दिवस पर...
विश्व रंगमंच दिवस'
वृहद् रंगमंच दुनिया सारी....
विरंचि-विरचित प्रपंच यह भारी
रंगमंच-सी भासित दुनिया सारी
जीव जहाँ अभिनय करता है
नित नूतन अति विस्मय कारी
नयनाभिराम निसर्ग - दृश्यांकन
सृष्टि अनूठी अद्भुत बिंबांकन
नर्तन सम्मोहक नियति-नटी का
करता नियंता तटस्थ मूल्यांकन
अनुस्यूत कथाएँ मुख्य-प्रासंगिक
हाव-भाव चाक्षुष और आंगिक
मिल सब भव्य कथानक गढ़ते
नाट्यशाला धरा खुली नैसर्गिक
पात्र आते निज किरदार निभाते
दर्शक उन संग घुल-मिल जाते
गिरती यवनिका पटाक्षेप होता
एक नया दृश्य फिर सामने होता
त्रिगुणात्मक प्रवृत्तियाँ मानवीय
रचतीं पल-पल नवल प्रकरण
व्यक्ति-अभिव्यक्ति, भाषा-शैली
करते मिल सब भाव-अलंकरण
कथानक श्लाघ्य सदा वह होता
अंततोगत्वा अंत सुखद जिसका
नाटिका वही सफल कालजयी
हो उद्देश्य महद् फलद जिसका
इस वृहद् रंगमंच के पात्र हम सब
भूमिका लघु बेशक पर अहं हमारी
रचें मंच-फलक पर निशां कुछ ऐसे
चले युगों तक जिन पर दुनिया सारी
- डॉ.सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी
मुरादाबाद (उ.प्र.)
23 मार्च, 2018
'चाहत चकोर की' काव्य संग्रह में प्रकाशित
Sunday 8 November 2020
दम भर तुझे पुकारा चाँद....
Friday 21 August 2020
कब सोचा था...
Wednesday 19 August 2020
सावन बीता...
कितना सच अनजाना तुमसे....
Friday 14 August 2020
कितना सच अनजाना तुमसे....
Thursday 14 May 2020
मन कर रहा आज ये मेरा....
सोलह श्रंगार...
Wednesday 13 May 2020
पूछना तुम चाँद से...
Tuesday 12 May 2020
बूढ़े गमों को ढोते-ढोते....
यूँ तो कोई काम नहीं है ---
ऐसा गया बिलट के....
Wednesday 6 May 2020
रोगजनकों में क्रमिक अभिवृद्धि-मानव पर प्रकृति की महा मार
Sunday 3 May 2020
करें क्या....
आज जग वीरान करें क्या
वक्त भी हैरान करें क्या
न सुकून है न करार कहीं
दिल भी परेशान करें क्या
सुना गया कोई कान में
मौत का फरमान करें क्या
कैद पायी काल अनिश्चित
बंद जिस्मो जान करें क्या
निज गृह हुआ हवालात-सा
जब्त सब अरमान करें क्या
दहशत का साम्राज्य हर सूं
छिन गयी मुस्कान करें क्या
खोज रहे मिल सभी निदान
पर नहीं आसान करें क्या
मनुजता का सूर्य ढल रहा
दिख रहा अवसान करें क्या
झूठे पड़े वरदान सभी
फला न कोई दान करें क्या
स्वार्थ तुच्छ ढा रहा कहर
सँभले न इंसान करें क्या
पड़े - पड़े बंदी घरों में
हो गये बेजान करें क्या
चिढ़ा रहे मुँह आज खगमृग
पी रहे अपमान करें क्या
हो कठोर नियति भी 'सीमा'
ले रही इम्तिहान करें क्या
- डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद(उ.प्र.)
कुंडलिया-कोरोना....
सोच रही गौरैया...
जान है तो जहान है ....
भाखा किसकी हाय फली है....
गो कोरोना गो कोरोना....
Wednesday 5 February 2020
मन अनुरागी श्याम तुम्हारा...
इश्क आसान नहीं होता है...
इश्क आसान नहीं होता है ------
मन-सीपी याद सँजोता है
कभी हँसता कभी रोता है
सुख चैन खुदी सब खोता है
इश्क आसान नहीं होता है
उसकी यादें उसकी बातें
उसके सपने बुनती रातें
विकल मन करता हाहाकार
मिलतीं अश्कों की सौगातें
हँस भार गमों का ढोता है
इश्क आसान नहीं होता है
जग से बेगाना रहता है
खुद से अंजाना रहता है
गुमसुम-गुमसुम खोया रहता
पर गम न किसी से कहता है
अपने पग कंटक बोता है
इश्क आसान नहीं होता है
राह इसकी बड़ी पथरीली
चाहत भी है अति नखरीली
मन आँकता छवि प्रिय की
रहती हरदम आँख पनीली
एक पल न चैन से सोता है
इश्क आसान नहीं होता है
गम खाकर औ आँसू पीकर
जीवन का गुजारा करता है
डूबा रहता याद में प्रिय की
खुद को ही बिसारा करता है
बड़ा अजब नज़ारा होता है
इश्क आसान नहीं होता है
नैन गगरिया छलकी जाती
जीवन-बाती घटती जाती
छाती धड़कती फटती जाती
जिह्वा नाम बस रटती जाती
दीदार न जब तक होता है
इश्क आसान नहीं होता है
अंगार-सा जलना होता है
बादल-सा बरसना होता है
बिंधता कली-सा शूलों से
तब हार रिदय का होता है
अश्कों में लगाता गोता है
इश्क आसान नहीं होता है
पर इश्क न हो गर जीवन में
जीने का मज़ा कहाँ आता है
प्रिय-छवि न हो गर नैनन में
मन-पृष्ठ कोरा रह जाता है
बहता छलछल नीर नयन से
विकार सब मन का धोता है
इश्क आसान नहीं होता है...
- डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
मेरी तीन रचनाएँ...
१- गुनो सार जीवन का...
इधर-उधर मत डोलो
मन की आँखें खोलो
तोड़ो न दिल किसी का
असत्य कभी न बोलो
रखकर कर्म-तुला पर
सुख-दुख दोनों तोलो
प्रायश्चित के जल से
मल पापों का धो लो
लौट अतीत की ओर
बिखरे मनके पो लो
फैले बेल खुशी की
बीज नेह के बो लो
हो शरीक पर-गम में
पलभर पलक भिगो लो
करो न बैर किसी से
सबके अपने हो लो
बोलो अमृत वाणी
गरल न मन में घोलो
गुनो सार जीवन का
यादें मधुर सँजो लो
मूंद लो थकी पलकें
नींद सुकूं की सो लो
- डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
२- वक्त-वक्त की बात ....
कल वक्त हम पर अनुरक्त हुआ
पल आज वो गुजरा वक्त हुआ
आज वो हमसे दूर बहुत है
दिल जिसपे कभी आसक्त हुआ
वक्त-वक्त की है बात, कहें क्या
कभी नरम कभी तो सख्त हुआ
दम से जिसके हसीं थी दुनिया
वही अब हमसे विरक्त हुआ
जब-जब भी उससे नज़र मिली
मुखड़ा लजाया आरक्त हुआ
उफनता सागर जज़्बातों का
शब्दों में कहाँ अभिव्यक्त हुआ
साथ छोड़ चले जब अपने ही
भारी पलड़ा भी अशक्त हुआ
शीशा ए दिल का हाल न पूछो
कितने हिस्सों में विभक्त हुआ
सुकून कहाँ मन पाए उसका
जो अपनों से परित्यक्त हुआ
चल निकलीं तिकड़में जिसकी
वही सब पर हावी सशक्त हुआ
साथ जिसका दिया किस्मत ने
जमाना उसी का भक्त हुआ
हुई विलीन असीम में 'सीमा'
अंश अंशी से संपृक्त हुआ
- डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
३- हर लो हरि-हर...
हर लो हरि-हर, हर गम मेरा !
लगा लिया अब मैंने प्रभुवर,
तुम्हारे चरन-कमलों में डेरा !
हर लो हरि-हर, हर गम मेरा !
तेरी जगती में जब सब सोते,
बस एक अकेली जगती हूँ मैं !
नाम की तेरे दे कर दुहाई,
प्राणों को अपने ठगती हूँ मैं !
मन में मूरत बसी है तेरी,
जिह्वा पर बस नाम है तेरा !
हर लो हरि-हर, हर गम मेरा !
मैंने सुना है भक्त पुकारे,
तब तुम दौड़े आते हो !
अपना हर एक काम जरूरी
उस पल छोड़े आते हो !
अपने प्रन की लाज रख लो,
डालो इधर भी फेरा !
हर लो हरि-हर, हर गम मेरा !
जाना जब से, अंश हूँ तेरा
खोज में तेरी, हुई दीवानी ।
नाता जबसे जुड़ा है तुमसे
जग से मैं सारे, हुई बेगानी ।
अज्ञान-तिमिर हर लो मेरा,
कर दो अब सुखद सवेरा ।
हर लो हरि-हर, हर गम मेरा !
खुद से जुदा कर मुझको तुमने
भेज दिया संसार में ।
कैसे तुम तक अब मैं आऊँ
भटक रही मझधार में ।
कोई सुगम सी राह सुझा दो
मुझे महा विपद् ने घेरा ।
हर लो हरि-हर, हर गम मेरा !
-डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)