सावन बीता
आस न बीती
ढुलक पलक से
बदली रीती
हद से प्यारा
मीत हमारा
बातें उसकी
थीं मनचीती
बैठी उन्मना
भोली जोगन
फटे बसन ले
कथरी सीती
होश न अपना
सुध न तन की
बंजर आस ले
मर - मर जीती
प्रेम - पंथ - पग
रखा सँभलकर
हारी फिर भी
कभी न जीती
क्षुधित तन है
प्यासा मन है
गम खा लेती
आँसू पीती
तन की मन से
मन की तन से
होती हरदम
तुक्काफजीती
- सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
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