जगमगाए चाँद जब तक उस नीलगगन की बाँहों में
स्वागतोत्सुक फूल सितारे मग जोहें आपका राहों में
दैदीप्यमान भाल सूर्य का हरे ज्यों जग का अंधियारा
मनोविकार धुल जाएँ उसके आए जो इन पनाहों में
रहो सदा चिन्मय, चिरजीवी, प्रेममय यह जग कर दो
रंग भरो झिलमिल सपनों में, सच हो जो है ख्वाबों में
मंत्रमुग्ध हो देखे जमाना, कृत्य अनूठे और मौलिक हों
मनोकामना पूर्ण सदा हो, कल्प वृक्ष की घनेरी छाँव में
बारंबार शुभ दिन यह आए, आएँ शत-शत शरद बसंत
स्वस्थ रहो सानंद रहो, सतत संलग्न रहो शुभ कामों में
~ सीमा