Wednesday 13 May 2020

पूछना तुम चाँद से...

पूछना तुम चाँद से ...

कब तलक जागे रहे हम,   पूछना तुम चाँद से
कब तलक आँखें रहीं नम, पूछना तुम चाँद से

चाँद भी जब छुप गया, बदलियों की ओट में
किस कदर छाया रहा तम, पूछना तुम चाँद से

अलमस्त सोई चाँदनी भी, चाँद के आगोश में
आया न उसको भी रहम, पूछना तुम चाँद से

कुछ पल ऊँघे सितारे, फिर मूंद पलकें सो गए
बस तन्हाई संग थी हरदम,पूछना तुम चाँद से

नयनन में दीप बाले, विरहन तकती रही गगन
परिस्थिति थी कैसी विषम, पूछना तुम चाँद से

उघड़े रहे नैन हर पल, उसके दरस की चाह में
हुआ न क्यों विसाले सनम, पूछना तुम चाँद से

औचक उस चंद्रवलय में आई छवि उसकी नजर
बड़ा मनमोहक था ये भरम, पूछना तुम चाँद से

चाँद ही है एक गवाह जो हर पल मेरे साथ रहा
कितने थे इस दिल पे जख़्म, पूछना तुम चाँद से

साक्षी है असीम आकाश, सीमा का मेरे प्रेम की
समझता था दिल का मरम, पूछना तुम चाँद से

उसकी किसी बात पर, हो गर यकीं तुमको नहीं
चाँदनी की तब दे के कसम, पूछना तुम चाँद से

                    ~~~सीमा अग्रवाल~~~
                             ~मुरादाबाद~




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