Sunday 3 May 2020

करें क्या....

आज जग वीरान   करें क्या
वक्त  भी   हैरान   करें  क्या

न सुकून है  न  करार  कहीं
दिल भी  परेशान  करें  क्या

सुना  गया  कोई   कान   में  
मौत  का फरमान  करें क्या

कैद  पायी  काल  अनिश्चित  
बंद  जिस्मो जान  करें  क्या

निज गृह हुआ  हवालात-सा
जब्त सब अरमान  करें क्या

दहशत का  साम्राज्य  हर सूं
छिन गयी  मुस्कान करें क्या

खोज रहे मिल  सभी निदान
पर  नहीं  आसान  करें  क्या

मनुजता का  सूर्य  ढल  रहा
दिख रहा अवसान करें क्या

झूठे   पड़े     वरदान    सभी
फला न कोई  दान  करें क्या

स्वार्थ  तुच्छ  ढा  रहा  कहर
सँभले  न  इंसान   करें  क्या

पड़े - पड़े    बंदी    घरों   में
हो  गये   बेजान   करें  क्या

चिढ़ा रहे मुँह  आज खगमृग
पी  रहे  अपमान   करें  क्या

हो कठोर नियति भी 'सीमा'
ले रही  इम्तिहान  करें  क्या

- डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद(उ.प्र.)

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