Sunday 21 January 2024

धन्य हुए हैं नैन...

समता ऐसे रूप की,    मिले कहीं ना अन्य।
निर्मल छवि मन आँककर, नैन हुए हैं धन्य।।

धन्य-धन्य प्रभु आप हैं, लिया राम-अवतार।
हित मानव के खोलने,     उच्च चेतना-द्वार।।

जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
नरता के मानक गढ़े,     नमन तुम्हें नर श्रेष्ठ।।

हृदय कामनागार तो,      कामधेनु हैं आप।
एक झलक भर आपकी, हर ले हर संताप।।

लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
बजें नगाड़े - दुंदुभी,     गुंजित नभ के छोर।।

पलक-पाँवड़े मग बिछा, खड़ा सज्ज हो द्वार।
राम-दरश की कामना,    करता हर परिवार।।

प्राण-प्रतिष्ठा  राम  की,  हुई  अवध में  आज।
सुखदा बाइस जनवरी, फलें सभी शुभ काज।।

जप ले मनके नाम के,   मेटें मन के ताप।
राम नाम के जाप से, धुल जाते सब पाप।।

खोया वैभव सूदमय, मिला अवध को आज।
युगों-युगों तक अब चले, रामलला का राज।।

हुई परीक्षा  पूर्ण हर,        भक्त हुए  उत्तीर्ण।
खड़े बगल सब झाँकते, मन जिनके संकीर्ण।।

मन - मानस मेरे रहे,   सदा आपका वास।
सहस्त्रार विगसे कमल, आए सरस सुवास।।

© डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
फोटो गूगल से साभार

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