Monday 29 January 2024

पग न अब पीछे मुड़ेंगे...

कस कमर जो चल पड़े हैं,
पग न वे पीछे मुड़ेंगे।

तुम जियो आजाद होकर,
अब न तुम पर भार हूँ मैं।
कर्म अपने साथ लेकर,
जी रही अधिकार हूँ मैं।
अब कभी जो हम मिले तो
तार क्या मन के जुड़ेंगे ?

रह हमारे साथ कुछ पल,
जो किए अहसान तुमने।
मोल चुकता कर दिया सब,
दे तुम्हें हर मान हमने।
साध अब गंतव्य अपना,
नित्य ही ऊँचें उड़ेंगे।

झेल ले सब यातनाएँ,
हो असर वो साधना में।
झंड कर दे चाल जग की,
हो दुआ वो प्रार्थना में।
गह चरण प्रभु राम के मन,
ताप सब वे ही हरेंगे।

रास्ते    उतने   खुलेंगे,
बंद  जितने  द्वार  होंगे।
डगमगा ले नाव कितनी,
हम यकीनन  पार होंगे।
थाम ली पतवार जिनकी,
तार उन सबको तरेंगे।

जिंदगी संघर्ष है तो,
फल मधुर मिलता इसी से।
रश्मियाँ रवि की प्रखर ये,
मन-कमल खिलता इसी से।
चीर देंगे हर तमस हम,
मौत को हँसकर वरेंगे।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

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