सूर्यदेव जी चल पड़े, मकर राशि की ओर।
बेला है संक्रांति की, उत्तरायणी भोर।।
माँ गंगा का अवतरण, हुआ धरा पर आज।
उतरी मुक्ति प्रदायिनी, जीव-जगत के काज।।
उत्तरायणी पर्व यह, महा संक्रमण काल।
ग्रह नक्षत्र मौसम सभी, बदलें अपनी चाल।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
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