Sunday, 6 October 2024

नमस्तस्यै नमस्तस्यै...

पाँचवी माता स्कंदमाता संसार की हर संतति पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें...

देकर बुद्धि कुबुद्धि को, अनगढ़ को संज्ञान।
रखो मात स्कंद की,   हर संतति का ध्यान।।

अंक सुशोभित मात के, बाल रूप स्कंद।
रिपुओं से रक्षा करें,     भक्त रहें निर्द्वन्द।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
"किंजल्किनी" से


फोटो गूगल से साभार

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