Thursday, 17 October 2024

किंजल्किनीः माल कमल अम्लान...

राम-नाम किंजल्किनी, हरे सकल भव ताप।
लिए हाथ ये सुमिरनी,   करूँ निरन्तर जाप।।

स्वीकारो 'किंजल्किनी,  पुष्प कमल अम्लान'।
करूँ समर्पित प्रभु तुम्हें, शब्द-शब्द मम प्रान।।

मनके-मनके पर प्रभो,    सिर्फ तुम्हारा नाम।
निकट सदा मन के रहो,कोटिक तुम्हें प्रणाम।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद



फोटो गूगल से साभार

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