राम-नाम किंजल्किनी, हरे सकल भव ताप।
लिए हाथ ये सुमिरनी, करूँ निरन्तर जाप।।
स्वीकारो 'किंजल्किनी, पुष्प कमल अम्लान'।
करूँ समर्पित प्रभु तुम्हें, शब्द-शब्द मम प्रान।।
मनके-मनके पर प्रभो, सिर्फ तुम्हारा नाम।
निकट सदा मन के रहो,कोटिक तुम्हें प्रणाम।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
फोटो गूगल से साभार
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