Wednesday, 16 October 2024

आज रात कोजागरी...

आज रात कोजागरी...

पसरी भू पर चाँदनी, आया अमृत काल।
शरदचंद्र का आगमन, ज्योतित नभ का भाल।।

शरद पूर्णिमा पर करें,  कोजागर उपवास।
जाग्रत रहते जन जहाँ, करती लक्ष्मी वास।।

धरती  ने  धारण  किया,  मोहक  हीरक  हार ।
शीतल  नूतन  भाव का,  कन-कन  में  संचार ।।

मन-गगन  में  तुम मेरे,  चमको  बन कर चाँद ।
नयन  निमीलित  मैं करूँ,  देखूँ  गुपचुप चाँद ।।

उलझ-उलझ कर मेघ से, चंदा हुआ उदास।
मेघों रस्ता दो उसे,      रजनी तकती आस।।

आज रात कोजागरी,  बरसे अमृत - धार।
धवल चाँदनी से पटा, देख सकल संसार।।

वर-अभय कर-कमल लिए, विचरें श्री भूलोक।
रात जाग जो व्रत करे,    हर लें उसका शोक।।

चलीं भ्रमण पर लक्ष्मी, धरे अधर पर मौन।
आज रात कोजागरी,     जाग रहा है कौन ?।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
'किंजल्किनी' से

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