असीम आकाश
Thursday 14 March 2024
कभी लूडो कभी कैरम...
कभी लूडो कभी कैरम, कभी शतरंज से यारी।
कभी हो ताश की बाजी, सुडोकू भी रहे जारी।
कहीं लगता नहीं जब मन, इन्हीं से बस बहलता है,
हमें प्रिय खेल ये सारे, लगी है लत हमें भारी।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
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