लगा आज से नौतपा, तपता सूर्य प्रचंड।
आग उगलता आ रहा, हुआ बहुत उद्दंड।।
भीषण गरमी फिर उमस, फिर आए बरसात।
चले नौतपा नौ दिवस, तपे धरा का गात।।
तीन-तीन दिन क्रम चले, ग्रीष्म उमस बरसात।
चले नौतपा नौ दिवस, तपे धरा का गात।।
चले रोहिणी ओर रवि, बढ़ा धरा का ताप।
दूर करो घन ये उमस, बेगि हरो संताप।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
फोटो गूगल से साभार
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