सर पर माँ के हाथ बिन, मिले कहाँ आराम।
माँ तेरे आँचल तले, मेरे चारों धाम।।
जग में ऐसा कौन जो, माँ सा करे दुलार।
आँसू जब-जब देखती, लेती झट पुचकार।।
है धरा पर स्वर्ग जैसा, मायका हम बेटियों का।
है यही फीके जगत में, जायका हम बेटियों का।
सच यही दौलत हमारी, जी रहे जिसकी बदौलत,
ये छुपा इक स्रोत है जी, आय का हम बेटियों का।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
No comments:
Post a Comment