दिन भर जाने कहाँ वो जाता ! साँझ ढले घर वापस आता ! दरस को उसके दिल बेताब ! क्या सखि साजन ? ना मेहताब !
© डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
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