Saturday 15 April 2023

विधना खेले खेल....

पुष्पवाण साधे कभी, साधे कभी गुलेल।

पुष्पवाण साधे कभी, साधे कभी गुलेल।
हाथों में डोरी लिए, विधना खेले खेल।।

प्रक्षालन नित कीजिए, चढ़े न मन पर मैल।
काबू में आता नहीं, अश्व अड़ा बिगड़ैल।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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