पुष्पवाण साधे कभी, साधे कभी गुलेल।हाथों में डोरी लिए, विधना खेले खेल।।
प्रक्षालन नित कीजिए, चढ़े न मन पर मैल।काबू में आता नहीं, अश्व अड़ा बिगड़ैल।।
© सीमा अग्रवालमुरादाबाद
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