Tuesday 24 October 2023

ऐसे नहीं मरेगा रावण...

पुतले जितने फूँकोगे उतना अट्टहास करेगा रावण।
                                     ऐसे नहीं मरेगा रावण।
जितने शीश हरोगे उसके  उतने रूप धरेगा रावण।
                                     ऐसे नहीं मरेगा रावण।

जिस रावण को तुम चले मारने वो तो अब है ही नहीं।
जिस त्याग से राम ने मारा  भाव वो तुममें है ही नहीं।

मारना चाहते हो यदि रावण, 
अपने अहम का रावण मारो।
यूँ ही खुद को राम न समझो,
खुद गर्जी का  दानव संहारो।

रहेगा मन विकृत जब तक भीतर वास करेगा रावण।
                                     ऐसे नहीं मरेगा रावण।

मारना चाहते हो गर रावण मन-वाण साधना सीखो।
विषयासक्त निज इंद्रियाँ संयम-डोर से नाथना सीखो।

मर्यादित तुमको होना होगा।
त्याग राम- सा करना होगा।
अपने भीतर का हर विकार,
पहले  तुमको  हरना  होगा।

रोपोगे जो रामत्व मन में खुद ही आन मरेगा रावण।
                                     ऐसे नहीं मरेगा रावण।

पुतले जिसके फूँक रहे तुम वह तो राम का रावण था।
था अति ज्ञानी बलशाली नहीं तुम जैसा साधारण था।

खातिर बहन की सिया हरी।
हाथ न  लगाया  रखी  खरी।
देवानुदानित, वरदानित वह,
नाभि उसकी अमृत से भरी।

हो असाधारण यूँ ही अकारण तुमसे नहीं मरेगा रावण।
पुतले जितने फूँकोगे उतना अट्टहास करेगा रावण।

                                   ऐसे नहीं मरेगा रावण।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
'मृगतृषा' से

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