मानते हो राम को तो....
मानते हो राम को तो,
मानना होगा तुम्हें ये।
हर अहं से दूर थे वे,
जानना होगा तुम्हें ये।
राम का मंदिर बनाकर,
किस कदर मगरूर थे तुम।
स्वार्थ के ही थे निकटतर,
राम से तो दूर थे तुम।
राम रमते रोम में हैं,
जानना होगा तुम्हें ये।
राम अब सेवक हमारे,
जो कहेंगे वो करेंगे।
चूर मद में सोचते तुम,
अब विजय हम ही वरेंगे।
सोच थी कितनी अपावन,
मानना होगा तुम्हें ये।
दिग्भ्रमित रावण हुआ था,
शिव सहित कैलाश लाकर।
अब बनूँगा मैं त्रिलोकी,
शंभु को मस्का लगाकर।
दंभ ले डूबा वही बस,
जानना होगा तुम्हें ये।
राम का तब राज्य होगा,
गुण वरो जो राम से तुम।
दुष्ट कितना कुछ कहे पर,
मौन संयम साध लो तुम।
आचरण बोलें तुम्हारे,
ठानना होगा तुम्हें ये।
द्वेष सब मन से निकालो।
राममय निज को बना लो।
नीति के पथ पर चलो नित,
राजनीति' ये बना लो।
सार क्या संसार में है,
छानना होगा तुम्हें ये।
शक्ति उसके उर समाती,
सत्य के पथ पर चले जो।
लाभ क्या उस बाहुबल का,
निर्बलों को ही छले जो।
राम क्या थे राज्य के हित,
जानना होगा तुम्हें ये।
थी परीक्षा ये तुम्हारी,
भूल सब अपनी सुधारो।
प्रभु कृपा से पास हो,अब
डूबती नैया उबारो।
राम के आदर्श क्या थे,
जानना होगा तुम्हें ये।
मानते हो राम को तो,
मानना होगा तुम्हें ये।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
05 जून, 2024
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