रूप माधुरी मोहिनी, हर वर्णन के पार।
श्री राधे-राधे जपो, खुले मुक्ति का द्वार।।
शक्ति स्वरूपा श्याम की, ब्रह्म स्वरूपा आप।
भक्ति करे जो आपकी, मिट जाएँ भव-ताप।।
राधन इच्छा का करे, श्री राधे का नाम।
राधे-राधे जप मना, आ जाएंगे श्याम।।
राधे-राधे जप मना, चाहे यदि घनश्याम।
दौड़े आएंगे प्रभो , सुन राधा का नाम।।
राधा गोपी मोहना, रास रचाते नित्य।
अगजग को रसमय करें, अद्भुत उनके कृत्य।।
राधा है संजीवनी, भरती सबमें प्राण।
बिन राधा संसार से, मिले नहीं परित्राण।।
हाथ जोड़ कबसे सतत, करूँ विनय मदिराक्ष।
मिलें मुझे रासेश्वरी, अब तो कृपा-कटाक्ष।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
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