चकरी टोपी गेंद सब, कितने संयत गोल।बिन पाई संभव कहाँ, ढपली ढोलक ढोल।।
शंकु बेलन वृत्त घन, होता सबमें झोल।बिन पाई कब जानते, धरा नखत हैं गोल।।
-© सीमा अग्रवाल
जिगर कॉलोनी
मुरादाबाद
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