Sunday 12 November 2023

आया कातिक मास...

आया कातिक मास ....

त्योहारों की लिए गठरिया,
आया कातिक मास।
उतर चाँदनी करती भू पर,
परियों जैसा लास।

आज दिवाली का उत्सव है,
चहुँ दिसि है उल्लास।
सजे द्वार-घर-आँगन सबके
अद्भुत अलग उजास।
पकवानों की सोंधी-सोंधी,
आए मधुर सुवास।

माना रात अमा की काली,
विकट घना अँधियार।
उसे बेधने आयी देखो,
जगमग दीप-कतार।
उतरा नभ ले नखत धरा पर,
होता ये आभास।

हल्ले-गुल्ले गली-मुहल्ले,
खुशियों का संचार।
नई-नई आभा में दमकें,
रोशन सब बाजार।
बच्चे छोड़ें आतिशबाजी,
भर मन में उल्लास।

चौदह वर्ष बिताकर वन में,
जीत महासंग्राम।
लौटे आज सिया लखन संग,
अवधपुरी में राम।
पुरवासी फूले न समाए,
दमके मुख पर हास।

आज नखत सब उतरे भू पर,
कर नभ में अँधियार।
प्रभु दरसन की दिल में अपने,
लेकर ललक अपार।
आज अवध में खुशी निराली,
पुलकित हर रनिवास।

साजें दीपावलियाँ घर-घर,
तोरण बंदनवार।
गले मिल सब एक दूजे से,
बाँटे नित उपहार।
रामराज्य आए भारत में,
मिटें सकल संत्रास।

मूल्य वही हों फिर स्थापित,
वरें वही आदर्श।
समरसता हो सार जगत का,
बने वही संदर्श।
दमकें दीप दीप से दीपित,
रचें सुघड़ अनुप्रास।

आया कातिक मास...

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
"मनके मेरे मन के" से

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