करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
दृढ़शक्ति एकाग्र मना, लेता नभ को नाप।।
नजर घनी शक्ति प्रचंड, कहते उसको बाज।
करता उच्च उड़ान भर, आसमान पर राज।।
जीवन तपमय बाज का, वरता दृढ़ संकल्प।
निर्णय ले जोखिम भरा, करता कायाकल्प।।
देख चुनौती सामने, होता नहीं निराश।
सूझबूझ-संकल्प से, काटे दुख के पाश।।
एक समय जब अंग सब, देने लगें जवाब।
सूझ बड़ी अपनी दिखा, ले आता नव आब।।
चोंच पटक चट्टान पर, देता खुद को चोट।
नयी निकल आने तलक, काढ़े चुन-चुन खोट।।
त्याग-लगन-एकाग्रता, मान बाज से सीख।
पाँच माह भूखा रहे, मरे, न माँगे भीख।।
जीवन-शैली बाज की, देती यह संदेश।
जीवन जीयो शान से, फटक न पाएँ क्लेश।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
फोटो गूगल से साभार
आपकी लेखनी वास्तव में आपकी रचनात्मकता और सूक्ष्म निरीक्षण क्षमता का प्रमाण है। बहुत ही खूबसूरत
ReplyDeleteआपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार प्रिय अपर्णा जी। आपकी यह टिप्पणी मेरे लिए किसी पारितोषिक से कम नहीं। 🙏❤️
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