Friday 29 September 2023

हंसगति छन्द विधान एवं उदाहरण...

1. यह  20 मात्राओं का चार चरणों वाला सुंदर  मात्रिक छंद है।
2. इसमें 11,9 मात्राओं पर यति होती है।तथा यति से पूर्व विषम चरणों में दोहे के सम चरण की भाँति दीर्घ-लघु वर्ण रखे जाते हैं।
3. दो-दो पंक्तियों में तुकांत सुमेलित किए जाते हैं। चारों पंक्तियों में समतुकांत भी रखे जा सकते हैं।
4. सम चरण में मात्राएँ 3,2,4 या 2,3,4 के क्रम में रखी जाती हैं अंत में 2 गुरु वर्ण अच्छे माने जाते हैं।

उदाहरण...
1- गजानन श्री गणेश...

गजानन श्री गणेश, सदा सुखकारी।
शिव शंकर हैं तात,   उमा महतारी।
प्रथम पूज्य श्रीपाद,  अमंगल हारी।
चरण नवाऊँ माथ,  हरो अघ भारी।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

2- ये हैं गण के ईश...

ये हैं गण के ईश, सुवन शंकर के।
आए   हरने क्लेश, सभी के घर के।
गणपति इनका नाम, सर्व सुख दाता।
पूरण करते काम, दुखों के त्राता।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

3- धेनु  चराएँ  श्याम...

धेनु  चराएँ  श्याम,    बजाएँ  वंशी।
बस गोकुल के ग्राम, हो चंद्र-अंशी।
दें जग  को  संदेश,  करो गौ  सेवा।
सभी  मिटेंगे क्लेश,  मिलेगी  मेवा।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

4- ले झुरमुट की ओट...

ले झुरमुट की ओट, देख लूँ तुमको।
भर नज़रों में रूप,  सेक लूँ मन को।
रहो सदा अब साथ,  जुड़े वो नाता।
बिना तुम्हारे नाथ,  नहीं कुछ भाता।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

5- इतनी मारामार...

इतनी मारामार,    करो मत प्यारे।
देख रहा करतार, डरो कुछ प्यारे।
करे न कोई भेद,   सुने वो सबकी।
त्रास-घुटन या पीर, हरे वो सबकी।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

6- घातक जग के ताप...

घातक जग के ताप, जलें नर-नारी।
कौन रचे ये पाप,    समझना भारी।
अजब जगत बरताव, किसे क्या बोलें।
तोड़ सभी विश्वास, गरल मन घोलें।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

7- उगल रहा रवि आग...

उगल रहा रवि आग, तपन है भारी।
चूल्हे पकता साग,   झुलसती नारी।
क्रुद्ध जेठ का ताप,  सहे दुखियारी।
टपके भर-भर स्वेद,    लपेटे सारी।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

8- कुसुमित जग की डार...

कुसुमित जग की डार, फले अरु फूले।
आशा पंख पसार,        उड़े नभ छू ले।
सुखद सँदेशे रोज,   चले घर आएँ।
बरसें सुख के मेघ, खुशी सब पाएँ।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

9- आया श्रावण मास...

आया श्रावण मास, धरा बलिहारी।
पड़ती शीत फुहार, लगे सुखकारी।
झुलस रहे थे अंग, तपन थी भारी।
कली-कली पर आब, खिली फुलवारी।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

10- आया भादो माह...

आया भादो माह, अहा अति पावन।
झुकि-झुकि बरसें मेघ, सरस मनभावन।
बरस रहे घनश्याम, बिजुरिया चमके।
हो प्रमुदित मन-मोर, नाचता जम के।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★

11- तुम्हीं हमारा मान...

तुम्हीं हमारी शान,    मान हो बिटिया।
हम सबका अरमान, जान हो बिटिया।
बिटिया तुम पर नाज,    हमें है भारी।
महक उठी है आज, खिली फुलवारी।

रचनाकार- डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
★★★★★★★★★★★★★★★★★
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