आओ प्रिय बैठो पास, कुछ ख्वाब मधुर से बुन लें
कुछ कहो जो तुम आँखों से, हम आँखों से सुन लें
भावों की इस नगरी में, लफ़्जों का कोई काम नहीं
दिल लगाकर दिल से, हर धड़कन दिल की सुन लें
कितनी मादक प्रिय रात चाँदनी, चाँद सुधा बरसाता
प्रणय निवेदन करे रजनी से, गुपचुप हम भी सुन लें
आबद्ध आलिंगन में दो प्रेमी, बिछी है सेज फूलों की
प्रेयसी के कंपित अधरों की, थिरकन हम भी सुन लें
मैं बन जाऊँ रात रूपहली प्रिय तुम चंदा बन जाओ
प्रणय केलि से चंद्र-निशा की कुछ गुर हम भी गुन लें
लबों ने चुप्पी साधी अगर है, आँखों से ही कुछ बोलो
प्यार का इजहार हो सुख की कलियाँ हम भी चुन लें
- सीमा
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