बज रहा हर सूं बिगुल चुनावी
सर्द मौसम कुछ लगा गरमाने
निकल पड़े राजभवन से नेता
फिर से जन- मन को भरमाने
हाथ जोड़े कैसे आ रहे देखो
कांधों पे वादों का झोला लादे
वोट की खातिर आज ये आए
महज जुमलों से हमें बहलाने
जन- मन को खुश करने की
कैसी होड़ लगी है हर दल में
कितनी शिद्दत से लगे हैं सारे
अपनी- अपनी दुकान सजाने
देख बस ऊपरी चमक- दमक
बातों में इनकी आ ना जाना
दायित्व निर्वहन करना बखूबी
जरा भी ढीले तुम पड़ न जाना
दल,जाति,धर्म से ऊपर उठकर
सोच- समझ कर निर्णय लेना
रुचे ना तुम्हें गर प्रत्याशी कोई
तो विकल्प नोटा का चुन लेना
मत देना है अधिकार तुम्हारा
खुद को ना वंचित तुम रखना
लोकतंत्र को सफल बनाना
सर्वथा योग्य पर मुहर लगाना
जन- जन के सजग प्रयासों से
भविष्य देश का संवर उठेगा
शत प्रतिशत मतदान से सच्चे
एक कर्मठ नेता हमें मिलेगा
- डॉ. सीमा अग्रवाल
२३ जनवरी, २०१७
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