तकते हैं हम राह तुम्हारी आ जाओ के रोजा इफ्तार कर लें जी भर के चाँद का अपने आज तो हम भी दीदार कर लें
ये लम्बी दूरी मीलों तक की सही ना जाती अब हमसे आओ जो तुम एक बार उम्र भर को तुम्हें गिरफ्तार कर लें
- सीमा
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