Thursday 23 June 2016

पाहुन तुम दिल में आए हो ---

पाहुन ! तुम दिल में आए हो,
रव का दिया वरदान बनकर !
मन-मंदिर में बसे हुए हो,
आज तुम्ही भगवान बनकर !

पहली बार नजर जब आए,
चुपके से आ दिल पर छाए,
मेरे लवों पर थिरक रहे हो,
आज तुम्ही मुस्कान बनकर !

जुड़ा है तुमसे अद्भुत नाता,
अब न कोई तुम बिन भाता,
आन छुपे हो , दिल में मेरे
सबसे हसीन अरमां बनकर !

ये जग शातिर बड़ा लुटेरा,
डाले रहता हर पल डेरा,
इस मंदिर का देतीं पहरा,
साँसें मेरी दरबान बनकर !

वरना क्या हस्ती थी मेरी,
वीरान पड़ी बस्ती थी मेरी,
आईं बहारें मेरे दर तक,
कुदरत का फरमान बनकर !

अब न मुझसे नजर चुराना,
कभी न अपना साथ छुड़ाना,
रह जाएगा बुत ये मेरा,
तुम बिन तो बेजान बनकर  !

सिर्फ तुम्हें ही मन ने पूजा
तुम सा कोई और ना दूजा
जनम जनम के मीत, मन में
रहो ना यूँ मेहमान बनकर !

पाहुन ! तुम दिल में आए हो,
रव का दिया वरदान बनकर !
मन-मंदिर में बसे हुए हो,
आज तुम्ही भगवान बनकर !

-सीमा अग्रवाल

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 16 दिसंबर 2017 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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