Saturday 19 August 2023

तीज मनातीं रुक्मिणी...

तीज मनातीं रुक्मिणी…

सावन आया जानकर, देखा सम्यक् वार।
तीज मनातीं रुक्मिणी, कर सोलह सिंगार।।

चूड़ीं बिछुवे करधनी, गल मुक्तामणि माल।
पाँव महावर शोभता, बेंदी शोभे भाल।।

राधा झूला देखकर, खड़ी पकड़कर डाल।।
तुम बिन सब सूना लगे, आओ मदन गुपाल।।

तुम बिन कुछ सूझे नहीं, समझ न आए रोग।
जोगन -सा मन हो गया, रुचें न जग के भोग।।

तज क्यों हमको चल दिए, क्यों काढ़ा ये बैर ?
जहाँ रहो तुम खुश रहो, सदा मनाएँ खैर।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
“दोहा संग्रह” से

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