Tuesday 6 June 2023

नित सुरसा सी बढ़ रही....

नित सुरसा सी बढ़ रही, लालच-वृत्ति दुरंत।
कहाँ रुकेगी लालसा, कहाँ स्वार्थ का अंत।।

मन में है दुविधा बड़ी, जाए तो किस ओर।
सोच न पाए मन विकल,  हुई रैन से भोर।।

रख मत जोड़बटोर कर, नश्वर सब सुखसाज।
माटी में मिलते दिखे,        कितने तख्तोताज।।

लिप्सा तज संतोष-धन, मन में करो निवेश।
शाश्वत सुख की संपदा, हर लेती हर क्लेश।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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