रात ख्वाब में आया मेरे एक सौदागर सपनों का
कितने ख्वाब दिखा गया मुझको वो सौदागर सपनों का
मैंने पूछा- मोल है क्या ?
वह बोला- कोई मोल नहीं
जितना जी चाहे देखो इन्हें
कोई हिसाब कोई तोल नहीं
भर गया आँखों में सपने अनगिन वो सौदागर सपनों का
बोला- यूं शरमाओ ना
पास तो मेरे आओ ना
स्पर्श कर मन-आँखों से
तासीर इनकी बताओ ना
भोली अदा से लुभा गया मुझको वो सौदागर सपनों का
चाँद सा उजला उसका रूप
आ रही थी छनकर मीठी धूप
थिरकता मुख पर मृदुल हास
किरनें करती थीं अद्भुत लास
स्नेह-डोर से बाँध गया मुझको वो सौदागर सपनों का
रात ख्वाब में आया मेरे एक सौदागर सपनों का
- सीमा
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