Wednesday 11 May 2016

मधुर होते दुख के परिणाम---

मधुर होते दुःख के परिणाम
अंत होता उनका अभिराम
एक समय वह भी आता है
जब लेती है निशा विश्राम
        विकसता नवल रवि सुखधाम    
         मधुर होते दुःख के परिणाम !

अगर करें हम समुचित न्याय
तो रात नही दुःख का पर्याय
सुबह के स्वर्णिम पृष्ठों पर लिखती
झिलमिल सपनों का अध्याय
        हारती न कभी जीवन- संग्राम
        मधुर होते दुःख के परिणाम !

जब भी दुख जीवन में आए
सुख सारे लगने लगें पराए
धर धीरज कर्म निरत रहना
यही तो है जो भाग्य बनाए
        सुख-दुःख का चक्र चले अविराम
        मधुर होते दुःख के परिणाम !

जो पीड़ा से नजर ना चुराते
प्यार से उसको गले लगाते
सुख पाकर जो नहीं मदमाते
मिलते गम तो नही घबराते
        वे समदर्शी सुखी आठों याम
        मधुर होते दुःख के परिणाम !

- डॉ0 सीमा अग्रवाल

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