मधुर होते दुःख के परिणाम
अंत होता उनका अभिराम
एक समय वह भी आता है
जब लेती है निशा विश्राम
विकसता नवल रवि सुखधाम
मधुर होते दुःख के परिणाम !
अगर करें हम समुचित न्याय
तो रात नही दुःख का पर्याय
सुबह के स्वर्णिम पृष्ठों पर लिखती
झिलमिल सपनों का अध्याय
हारती न कभी जीवन- संग्राम
मधुर होते दुःख के परिणाम !
जब भी दुख जीवन में आए
सुख सारे लगने लगें पराए
धर धीरज कर्म निरत रहना
यही तो है जो भाग्य बनाए
सुख-दुःख का चक्र चले अविराम
मधुर होते दुःख के परिणाम !
जो पीड़ा से नजर ना चुराते
प्यार से उसको गले लगाते
सुख पाकर जो नहीं मदमाते
मिलते गम तो नही घबराते
वे समदर्शी सुखी आठों याम
मधुर होते दुःख के परिणाम !
- डॉ0 सीमा अग्रवाल
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