खोई रही ख्यालों में तुम्हारे
पलभर नींद मुझे ना आई !
तुम क्या जानो तुम बिन,
तन्हा कैसे मैंने रैन बिताई !
तकती रही तस्वीर तुम्हारी
सुधबुध अपनी बिसराई
मुझे याद तुम्हारी आई !
पंछी लौटे नीड़ में अपने
नभ में संध्या घिर आई
मुझे याद तुम्हारी आई !
रोमांचित हो उठी धरा
जब नभ में बदली छाई
मुझे याद तुम्हारी आई !
रो रो व्यथित सावन ने
अश्कों की झड़ी लगाई
मुझे याद तुम्हारी आई !
चाँद के आगोश में जब
निशा शरमाई सकुचाई
मुझे याद तुम्हारी आई
चुपके से आ चकोर को
चाँद ने चादर धवल उढ़ाई
मुझे याद तुम्हारी आई !
--- सीमा ---
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