यह तो गमों ने आवाजाही लगा रखी है । रात-दिन दिल की महफिल सजा रखी है । वरना तो पसरी थी वीरानी यहाँ से वहाँ तलक, भावों का चमन, जग ने तो उजाड़ ही डाला था ।
-सीमा अग्रवाल
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