दिल में दीप जलाने वाले...
दिल में दीप जलाने वाले,
मीत कहाँ ? अब आ भी जाओ।
बहुत अँधेरा है जीवन में,
भटक रही हूँ, राह दिखाओ।
तुम बिन सूनी दिल की नगरी।
रीत रही है यौवन-गगरी।
दिन-दिन शिथिल हो रही काया,
कहते कहने वाले 'ठठरी'।
मृत में प्राण फूँकने वाले,
मरती इच्छा आन जिलाओ।
जिया नहीं जाता अब तुम बिन।
भार लगे तन पल-पल छिन-छिन।
चकरी सी डोलूँ बस इत-उत,
वक्त कटे कैसे दिन गिन-गिन ?
मन-नभ तक घिर आयी बदली,
बन बिजुरी पिय कौंध दिखाओ।
फेर लिया तुमने मुख अपना।
लिखा भाग्य में बस दुख जपना।
रमे विदेसहिं छोड़ मुझे प्रिय,
टूट गया मेरा हर सपना।
तम में धूप खिलाने वाले,
आस-किरन बनकर आ जाओ।
दिल में दीप जलाने वाले,
मीत कहाँ ? अब आ भी जाओ।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )