Saturday, 1 November 2025
चल पड़े अंतिम सफर पर...
Saturday, 25 October 2025
स्वार्थ परक हर कार्य...
Saturday, 18 October 2025
धनतेरस की हार्दिक मंगलकामनाएँ...
Friday, 17 October 2025
आया कातिक मास...
Monday, 13 October 2025
जय अहोई माता...
Sunday, 28 September 2025
अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस...
जीवन में रस घोलती, भरती सबमें जान।
घर की चौखट देहरी, बिन बेटी सुनसान।।
घर की रौनक बेटियाँ, खुशियों का पर्याय।
बूढ़ी माँ कैसे जिए, बिन बेटी असहाय।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
Friday, 26 September 2025
रूप षष्ठ कात्यायनी...
Monday, 15 September 2025
कैसे करें निबाह...
Wednesday, 10 September 2025
है निकट अवसान मेरा...
पितृ पक्ष...
Monday, 8 September 2025
महबुलिया के गीत...
Saturday, 6 September 2025
था नहीं आसान मुझको...
था नहीं आसान मुझको,
लिख रही जो गीत लिखना।
सीख पायी हूँ तुम्ही से,
हार पर भी जीत लिखना।
'ये उदासी के अँधेरे,
कुछ पलों में दूर होंगे।
जो करें अपमान तेरा,
मान उनके चूर होंगे।'
थाम कर तुमने सिखाया,
युद्ध को संगीत लिखना।
'खामियाँ हैं हर किसी में,
कौन है संपूर्ण जग में।'
तुम सदा ही सीख देते,
क्या रखा है दुश्मनी में।
थे तुम्ही जिसने सिखाया,
शत्रु को भी मीत लिखना।
© सीमा अग्रवाल
"गीत सौंधे जिंदगी के" से
Thursday, 4 September 2025
सद्गुरु ब्रह्म स्वरूप...
Saturday, 30 August 2025
सर्वधर्म समभाव समन्वित...
गुरु जम्भेश्वर राज्य विश्वविद्यालय, मुरादाबाद के लिए रचित कुलगीत...
सर्वधर्म समभाव समन्वित, सुगठित सहज सुकाय।
सुर साहित्य संगीत संस्कृति, समरसता समवाय।
महाग्रंथ में इस मंडल के, जुड़ा नया अध्याय।
विश्वविद्यालय गुरु जम्भेश्वर, नवयुग का पर्याय।
उर्वर धरा है ज्ञान की ये, गढ़े सुघड़ व्यक्तित्व।
उखाड़ न पाएँ आँधियाँ भी, सुदृढ़ तने अस्तित्व।
अड़ें शक्तियाँ अगर विरोधी, करे उन्हें निरुपाय।
विश्वविद्यालय गुरु जम्भेश्वर, नवयुग का पर्याय।
शुद्ध चेतना जाम्भोजी की, पराशक्ति का धाम।
बसा राम गंगा के तट पर, पीतल नगरी नाम।
बैर-द्वेष से परे जहाँ सब, देते नित निज दाय।
विश्वविद्यालय गुरु जम्भेश्वर, नवयुग का पर्याय।
प्रगति-पंथ पर बढ़े चलें हम , लिए अडिग विश्वास।
आए मंजिल पास हमारे, चूमे भाल सहास।
दीप ज्ञान का जले चतुर्दिक, हर ले कलुष -कषाय।
विश्वविद्यालय गुरु जम्भेश्वर, नवयुग का पर्याय।
मिटें वृत्तियाँ सकल तामसी, आए स्वर्णिम भोर।
वेद-ऋचाएँ मुखरित दिशि-दिशि, गुंजित हों सब छोर।
सद् विचार हों नवाचार हों, सुखकर शुभ अभिप्राय।
विश्वविद्यालय गुरु जम्भेश्वर, नवयुग का पर्याय।
© प्रो. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
१५ जनवरी, 2025
Saturday, 16 August 2025
धन्य वसुदेव-देवकी...
Friday, 8 August 2025
Wednesday, 6 August 2025
आँख सभी की नम है...
Saturday, 2 August 2025
वे कभी जब बोलते हैं...
Friday, 1 August 2025
बढ़ रहे हैं दुक्ख प्रतिपल...
Thursday, 31 July 2025
साँझ-सकारे कर ले मनवा...
याद हमें आता रहरह कर...
Wednesday, 30 July 2025
आज प्यासे मर गये वे...
खोदते थे नित कुआँ जो,
आज प्यासे मर गए वे।
सौंप जग को पीर अपनी,
दर्द से हर तर गए वे।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
Friday, 25 July 2025
जीवन भर जिसको गम ढोना...
Thursday, 24 July 2025
कैसे करूँ निबाह...
खोज-खबर फिर ली नहीं, भूला उसका ध्यान।।
मैं तेरी संतान प्रभु, तुझसे निर्मित काय।
कैसे अब तुझसे मिलूँ, तू ही सुझा उपाय।।
क्या देखा जो कर दिया, जग से मेरा ब्याह ?
पग-पग लानत ठोकरें, कैसे करूँ निबाह ?
अपने तन से काढ़कर, भेज दिया परदेश।
देख कभी तो आ मुझे, पग-पग कितने क्लेश।।
Tuesday, 22 July 2025
मुँह क्या लगना उन नंगों के...
शिवमय सुबहो शाम...
लिए शंभु की चाह में, जन्म एक सौ आठ।
जपें शिवा शिव नाम बस, भूलीं सारे ठाठ।।
चाह घनी मन में बसी, पाना है निज प्रेय।
भूलीं सारे भोग माँ, याद रहा बस ध्येय।।
शिव-आराधन लीन हो, त्यागे सारे भोग।
बिल्व पत्र के बल किए, सिद्ध साधना योग।।
निराहार निर्जल शिवा, शिवमय सुबहो-शाम।
त्याग पर्ण तन धारतीं, पड़ा अपर्णा नाम।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
"किंजल्किनी" से
ढूँढे से भी ना मिले...
आस लगाए खोखली, तड़प रहा दिन-रैन।।
कनियाँ सुख की बीनते, गड़ी पाँव में कील।
हँसते लमहे हो गए, आँसू में तब्दील।।
बात बदलते थे सभी, बदल रही अब वात।
सता रहा क्यों आजकल, भय कोई अज्ञात।।
लील रही सुख चैन सब, ये तूफानी रात।
कुछ' समझ आता नहीं, क्या होंगे हालात।।