Wednesday, 11 June 2025

ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा...

भभका सूरज जेठ में,   उगले रहरह आग।
वट-पूनम की चाँदनी, छिटक रही अनुराग।।

दिवस भभकते आग से,   झुलसे भू की देह।
मधुर-मधुर मृदु चाँदनी, ज्यों शीतल अवलेह।।

जन्म कबीरा- वेद का, सरयू का प्राकट्य।
अद्भुत पूनम जेठ की, अद्भुत ये वैशिष्ट्य।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
फोटो गूगल से साभार

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