Monday, 16 June 2025

हरहराता मन नदी सा...

हरहराता मन नदी सा,
गम हिमालय से अटल हैं।
पर लगे हैं चाहतों के,
तक रहीं नभ का पटल हैं।

© सीमा अग्रवाल

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