रूप षष्ठ कात्यायनी, हरे भक्त के कष्ट।
असुर असर सिंहवाहिनी, करे लपक कर नष्ट।।
शक्ति रूप हर जीव में, करतीं आप निवास।
नमन करूँ माँ आपको, रख दिनभर उपवास।।
मानस पुत्री ब्रह्म की, षष्ठी देवी नाम।
माँ आद्या कात्यायनी, साधें सबके काम।।
भस्मासुर को मारने, प्रगटीं मात प्रवीन।
वृंदावन में आप का, सिद्धपीठ प्राचीन।।
जो माँ का पूजन करे, करे निरंतर जाप।
हरतीं माँ उसके तुरत, रोग शोक संताप।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
फोटो गूगल से साभार
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