Monday, 8 September 2025

महबुलिया के गीत...

पितरों के सम्मान हित, चली अनूठी रीत।
घर-घर गातीं बच्चियाँ, महबुलिया के गीत।
काँटों वाली शाख में, टाँकें चुन-चुन फूल।
दुहराएँ फिर से चलो,    वही पुरातन रीत।

© सीमा अग्रवाल
फोटो गूगल से साभार

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