जीवन में रस घोलती, भरती सबमें जान। घर की चौखट देहरी, बिन बेटी सुनसान।।
घर की रौनक बेटियाँ, खुशियों का पर्याय। बूढ़ी माँ कैसे जिए, बिन बेटी असहाय।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
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