Wednesday, 10 September 2025

है निकट अवसान मेरा...

जानती हूँ आ रहा है, अब निकट अवसान मेरा।
देखती हूँ आँख भर कर,     छूटता दालान मेरा।
सोच-चिंता-त्रास-तड़पन,    साथ जो मेरे रहे हैं,
ले चलूँगी साथ सबको,     बाँध दो सामान मेरा।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद


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