बात-बात पर हेकड़ी, बात-बात पर रार।
ऐसे जुल्मी जीव से, पाएँ कैसे पार।।
बातें सज्जन सी करें, रक्खें मन में चोर।
ओछे-ओछे कर्म कर, होते हर्ष विभोर।।
अहित चाहना और का, उल्टी माला फेर।
कुत्सित ऐसी भावना, पल में होती ढेर।।
नफरतजीवी जीव से, रहिए सदा सतर्क।
मीठा-मीठा बोलकर, कर दे बेड़ा गर्क।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ. प्र. )
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