Sunday, 11 May 2025

एक दोहा...

बड़े-बड़े प्रबुद्ध यहाँ,   देखे आत्म विमुग्ध।
सार न जाने ज्ञान का, कहते खुद को बुद्ध।।

© सीमा अग्रवाल

मुरादाबाद

No comments:

Post a Comment